Types of Pranayama, Pranayama Steps and How to do Pranayama
In our earlier article, we have known something about the Pranayama like what is pranayama. who is the founder of pranayama, how pranayama can help us to keep fit and healthy etc?In this article, we will know more about pranayama like what is the right time to do pranayama most important how to do pranayama.
what is the right time to do pranayama?
After reading many books on pranayama and after consulting with the pranayama teachers, who are teaching pranayama for more than 15 years. I have found that morning time is most suitable for yoga & meditation. if you don't have time in the morning then you can do it after 3-4 hours of doing breakfast. (it is to keep in mind that your stomach must be lighter)Second, you have to stay relaxed before going to do the pranayama. Otherwise, it will not work.How to do Pranayama?
1. Kapalbhati Pranayama
Process of the Kapalbhati Pranayama-Sit back and relax by straightening the spinal cord with the spatial spacing. Leave the stomach loose after sitting. Now exhale out of the nose again quickly and again, but do not pay attention to stretching the stomach inwards because the stomach will patch itself inside. You give full attention only to exhale the breathing. People who are suffering from eye disease, when they have a cough, they have blood pressure problems, then they should do this pranayama with advice from Yoga Training.
Benefits of Kapalbhati Pranayama-
- The biggest benefit of this pranayama is that by doing this, the ultimate powerful Manipurak Chakra of Navel starts to awaken and the nectar resides in the Manipurak Chakra of every human being, hence the Manipurak Chakra will become effective just as the process of human life Let's move forward!
- This pranayama will always show freshness, happiness and peace on the face. It is very beneficial for people suffering from constipation and diabetes. Is beneficial in brain related diseases.
- Controls the weight (Kapalbhati Weight reduction), people who are troubled by excess weight can get benefit from this pranayama in a very short time. It keeps the weight balanced. It provides definite benefits even in extremely lethal diseases such as cancer AIDS.
- Having half an hour in the evening with dieting, has the definite ability to destroy all the diseases in the body.
2. Analogum-inversion (pulse purification) pranayama (Nadi shodhan / Anulom vilom pranayama)
Very few people know that pulse purification is not pranayama, but it is a complete process, which begins with Anulom vilom Pranayama! In the pulse purification process, it is a very sensible way to make sense that the air entering the body is refining various nerves of the body, so this process is not possible without the direct guidance of the Guru.So here we are just describing Anulom-vilom Pranayama!
Process of the Anulom-vilom Pranayama-
first, sit down in the Sudhasana or Padmasana and close your eyes. Then close the right nose of your nose with your right thumb and breathe inward from the left punch. Now close the left hole with two fingers next to the thumb. Remove the thumb from the right hole and leave it breathless. Now repeat this process with left holes. Repeat this action at least 10 times, reverse. Apply it to 7-10 minutes daily.
Benefits of Analog-Inverse Pranayama (Benefits of Anulom vilom pranayama)
- It plays a very important role in purifying 72 thousand nadis located in the human body in every way, resulting in the destruction of the innumerable diseases of the body gradually.
- In the heart of state there is the emergence of divine light or God light, which some year after its practitioner feels or observe.
to be continue...
In Hindi (हिंदी में)
प्राणायाम के प्रकार, प्राणायाम स्टेप्स और कैसे करें प्राणायाम
अपने पहले लेख में, हमने प्राणायाम के बारे में कुछ जाना है जैसे कि प्राणायाम क्या है। प्राणायाम के संस्थापक कौन हैं, प्राणायाम हमें फिट और स्वस्थ रखने में कैसे मदद कर सकता है?इस लेख में हम प्राणायाम के बारे में अधिक जानेंगे जैसे प्राणायाम करने का सही समय क्या है प्राणायाम कैसे करें।
प्राणायाम करने का सही समय क्या है?
प्राणायाम पर कई किताबें पढ़ने के बाद और प्राणायाम शिक्षकों से परामर्श करने के बाद, जो 15 से अधिक वर्षों से प्राणायाम सिखा रहे हैं। मैंने पाया है कि सुबह का समय योग और ध्यान के लिए सबसे उपयुक्त है। यदि आपके पास सुबह का समय नहीं है तो आप इसे नाश्ते के 3-4 घंटे बाद कर सकते हैं। (यह ध्यान रखना है कि आपका पेट हल्का होना चाहिए)दूसरा, प्राणायाम करने से पहले आपको तनावमुक्त रहना होगा। अन्यथा, यह काम नहीं करेगा।प्राणायाम कैसे करें?
1. कपालभाति प्राणायाम
कपालभाति प्राणायाम करने की विधिसमतल स्थान कपड़ा बिछाकर रीढ़ की हडडी सीधी करके आराम से बैठ जाएं। बैठने के बाद पेट को ढीला छोड़ दें। अब तेजी से बार — बार नाक से सांस बाहर निकालें, पर पेट को भीतर की ओर खीचने पर ध्यान ना दे क्योकि पेट अपने आप अंदर पिचकेगा। आप पूरा ध्यान केवल सांस को बार — बार बाहर निकालने पर दे। जो लोग नेत्र रोग से पीडि़त हैं, कान से पीप आता हो, ब्लड प्रेशर की समस्या हो, तो वे इस प्राणायाम को किसी योग प्रशिक्षक (Yoga Training) से सलाह लेकर ही करें |
कपालभांति के लाभ
- इस प्राणायाम का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इससे नाभि स्थित परम शक्तिशाली मणिपूरक चक्र जागृत होने लगता है और हर मानव के मणिपूरक चक्र में ही अमृत का वास होता है इसलिए मणिपूरक चक्र जैसे जैसे प्रभावी होता जाएगा वैसे वैसे मानव चिर युवा की प्रक्रिया की और अग्रसर होता जाएगा !
- इस प्राणायाम से चेहरे पर हमेशा ताजगी, प्रसन्नता और शांति दिखाई देगी। कब्ज और डाइबिटिज की बीमारी से परेशान लोगों के लिए यह काफी फायदेमंद है। दिमाग से संबंधित रोगों में लाभदायक है।
- वजन को कंट्रोल करता है (Kapalbhati Weight reduction), जो लोग ज्यादा वजन से परेशान है वे इस प्राणायाम से बहुत कम समय में ही फायदा प्राप्त कर सकते हैं। इससे वजन संतुलित रहता है। कैंसर एड्स जैसी बेहद घातक बीमारियों में भी इससे निश्चित लाभ प्रदान करता है।
- आधा घंटा सुबह शाम परहेज के साथ करने से शरीर की सभी बीमारियो का नाश करने की निश्चित क्षमता रखता है।
2. अनुलोम-विलोम (नाड़ी शोधन) प्राणायाम
बहुत कम लोगों को पता है कि नाड़ी शोधन कोई प्राणायाम नहीं, बल्कि एक पूरी प्रक्रिया है जिसकी शुरुवात अनुलोम विलोम प्राणायाम से होती है ! नाड़ी शोधन प्रक्रिया में एक बहुत साइंटिफिक तरीके से यह भावना करनी होती है कि शरीर के अंदर प्रवेश करने वाली वायु शरीर की विभिन्न नाड़ियों का शोधन कर रही है, अतः यह प्रक्रिया बिना गुरु के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन के संभव नहीं होती है !इसलिए यहाँ हम सिर्फ अनुलोम विलोम प्राणायाम का ही वर्णन कर रहें हैं !
अनुलोम-विलोम (नाड़ी शोधन) करने की विधि
अनुलोम-विलोम करने के लिए पहले सुखासन या पद्मासन में बैठ जाएं और आंखें बंद कर लें।फिर अपना दाएं हाथ के अंगूठे से नाक के के दाएं छिद्र को बंद कर लें और बाएं छिद्र से भीतर की ओर सांस खीचें। अब बाएं छिद्र को अंगूठे के बगल वाली दो अंगुलियों से बंद करें। दाएं छिद्र से अंगूठा हटा दें और सांस छोड़ें। अब इसी प्रक्रिया को बाएं छिद्र के साथ दोहराएं। यही क्रिया कम से कम 10 बार, उलट — पलट कर करें। इसे प्रतिदिन 7–10 मिनट तक करने की आदत डालें।
अनुलोम-विलोम प्राणायाम के लाभ
- मानव शरीर में स्थित 72 हज़ार नाड़ियों को हर तरीके से शुद्ध करने में बहुत अहम भूमिका निभाता है जिससे शरीर की असंख्य बीमारियों का नाश अपने आप धीरे धीरे होने लगता है।
- हृदय प्रदेश में ईश्वरीय प्रकाश (divine light or God light) का उदय करता है जिसे कुछ वर्ष बाद इसका अभ्यासी (yoga practitioner feel or observe) स्पष्ट महसूस करने लगता है !
जारी....
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